ভাইরাল খবর
সংকল্প দিবসে পুলিশ কর্তাদের সামনেই মেঝেতে বসে বৃদ্ধ! ভাইরাল ছবি
বেঙ্গল এক্সপ্রেস নিউজ: সোশ্যাল মিডিয়ায় ভাইরাল এক বৃদ্ধের ছবি। যেখানে তাঁকে দেখা গিয়েছে মেঝেতে বসে থাকতে। কিন্তু ঘটনাটি অন্যদিকে মোড় নিয়েছে যখন পাশের টেবিল-চেয়ারে বসে রয়েছে পুলিশ কর্মকর্তারা। সেই ছবি ভাইরাল হওয়ার পরই সোশ্যাল মিডিয়া জুড়ে ঝড় উঠেছে।
ঘটনাটি ঘটেছে উত্তরপ্রদেশের আমেঠি জেলায়। এখানে তিলোই তহসিল অডিটোরিয়ামে সমগ্র সংকল্প দিবসের আয়োজন করা হয়। এ সময় বৃদ্ধ তাঁর অভিযোগ নিয়ে অডিটোরিয়ামে পৌঁছান। আর এই ছবিই ভাইরাল হয়েছে সোশ্যাল মিডিয়ায়। ছবিটি শেয়ার করেছেন সমাজবাদী পার্টির মুখপাত্র মনোজ কাকা। টুইট করে তিনি লিখেছেন, ‘এই স্বৈরাচারী আদালতে বসা সমস্ত অফিসারকে অবিলম্বে বরখাস্ত করা উচিত।’
इस तानाशाही दरबार जितने भी आफ़िसर बैठे हों सभी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाना चहिए ! pic.twitter.com/230frlPvnS
— Manoj KAKA (@ManojSinghKAKA) July 3, 2022
অন্যদিকে, ছবিটি ভাইরাল হওয়ার পরই সোশ্যাল মিডিয়া জুড়ে সৃষ্টি হয় তীব্র ক্ষোভ। এক ব্যবহারকারী লিখেছেন, ‘এটি তিলোই তহসিল অডিটোরিয়ামের গণতন্ত্রের একটি কলঙ্কজনক ছবি। অভিযোগ করতে আসা প্রবীণদের মাটিতে বসে তাদের পালার জন্য অপেক্ষা করতে হয়েছিল। এই দৃশ্য কর্মকর্তাদের নৈতিকতাকে লজ্জায় ফেলে দিয়েছে।’
तहसील तिलोई में संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान शिकायत लेकर आए बुजुर्ग को पत्रकार जय प्रकाश पांडे द्वारा सभागार में जमीन पर बैठा कर फोटो लेकर वायरल किया गया, जैसा की फोटो देखने से स्पष्ट है कि बुजुर्ग कैमरे की तरफ देख रहें हैं। बुजुर्ग को वहां से उठाकर तत्काल कुर्सी पर बैठाया गया।
— DMAmethi (@DmAmethi) July 3, 2022
यह लोकतंत्र की बदरंग तस्वीर तिलोई तहसील सभागार की है कल यहां आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में फरियाद करने आए बुजुर्ग को जमीन पर बैठ अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।इस दृश्य ने अधिकारियों की नैतिकता को शर्म सार किया है@DmAmethi @smritiirani @myogiadityanath @dgpup @himanshulive07 pic.twitter.com/4bIg7X7bYu
— योद्धा सत्यम गुप्ता { डिजिटल योद्धा } (@Gupta_yodha) July 3, 2022
তবে এই ছবি ভাইরাল হওয়ার পরই এর সত্যতা যাচাইয়ের জন্য ইউপি সরকারের ফ্যাক্ট চেক টিম। জানা গিয়েছে, আমেঠিতে বয়স্কদের সাথে অভদ্র আচরণের ছবি সোশ্যাল মিডিয়ায় কিছু অ্যাকাউন্টের মাধ্যমে ভাইরাল হচ্ছে। এই প্রসঙ্গে, আমেঠির জেলা ম্যাজিস্ট্রেটের দ্বারা জানানো হয়েছে যে রেজোলিউশনের দিন, প্রবীণরা নিজেরাই মাটিতে বসেছিলেন, যাদেরকে অবিলম্বে চেয়ারে বসতে দেওয়া হয়েছিল।
बड़े बड़े कान्वेंट स्कूलों में पढ़कर आये अधिकारियों की गलती नहीं है गलती है तो सरकार की जिसने इन्हें संस्कार न सिखाने पर सजा नहीं दी। हिन्दू स्कूलों में शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए जाते थे लेकिन उनको सहायता न मिलने से वे लगभग बन्द होने की कगार पर हैं।
— आलोक खरे (@Alokkha01372622) July 3, 2022